मिटटी का बर्तन व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रुई, अगरबत्ती, चन्दन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फुल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, मेहंदी,
सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुन्नी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिटटी, छलनी,आठ पुरियो की अठावरी,हलुआ, लकड़ी का आसन, महावर व दक्षिणा की वस्तुएं व पैसे।
चौथ के दिन ब्रहम मुहूर्त में उठे व स्नान करे।“मम सुख्सौभाग्य पुत्र्पौत्रादी सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमंह करिष्ये” इस मंत्र को बोल कर व्रत का संकल्प ले।
सूर्योदय से पूर्व सरगी ग्रहण कर ले फिर दिन भर निर्जला व्रत रखे। गेरू लेकर उससे दीवार पर फलक बनायें। भीगे हुए चावल को पीसकर घोल बनाये। इससे फलक पर करवा का चित्र बनाये।
आठ पुरियो की अठावरी बनायें, भोग के लिए कुछ मिष्ठान बनाये। अब पिली मिटटी में गोबर मिलाकर माता पार्वती की प्रतिमा बनायें। अब इस प्रतिमा को लकड़ी के आसन पर विराजित करे।
मेहंदी, चूड़ी, चुनरी, बिछुआ, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी अर्पित करे, जल से भरा लोटा रखे।करवे में गेंहू व ढक्कन में शक्कर का बुरा भर दे। करवा पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाये, गणपति व करवे की पूजा करे।
करवा चौथ की कथा सुने, कथा सुनने के पश्चात् बड़ो का आशीवार्द ले और करवा उन्हें दे दें। चन्द्र के उदय के बाद छलनी से पति को देखे और चन्द्र को अर्घ्द दे।
चन्द्र को अर्घ्द देते समय पति के उत्तम स्वास्थ, लंबी आयु की कामना करे। पति का आशीर्वाद ले और उनके हाथ से जल ग्रहण करे।