mood swings problem in period

धीरे-धीरे ही सही लेकिन हमारे देश में लोग अब कई बातों पर जागरूक होने लगे है उनमे कई बातों को लेकर बदलाव भी आये जो की काफ़ी सराहनीय भी है परन्तु कुछ ऐसे टॉपिक भी है जिस पर बात किया जाना अब भी बेहद जरूरी है। ऐसा ही आज का एक टॉपिक है जिस पर हम बात करने वाले है पीरियड्स प्रॉब्लम की। जी हाँ, यह टॉपिक पर लोगों को बात करने में वैसे भी झिझक होती है क्योकिं यह महिलाओं से सम्बंधित एक परेशानी है। (Mood Swings Problem in Periods)

आपको इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं होगा की आज भी हमारे इस देश में माहवारी के दिनों में महिलाओं पर काफ़ी अत्याचार किये जाते है, उनके इन दिनों को सबसे ज्यादा गन्दे दिनों में गिना जाता है और उनके साथ बहुत ही बुरा व्यवहार भी होता है। न ही उन्हें अच्छा भोजन मिलता है और माहवारी के कारण न ही उन्हें पर्याप्त नींद मिल पाती है जिसके कारण शारीरिक तनाव बढता है जिसका असर मानसिक रूप से भी दिखने लगता है और मूड स्विंग होने लगते है।

मूड स्विंग्स क्या होता है (Mood Swings Problem in Periods)

मूड स्विंग्स हमारे शारीरक हार्मोन्स में बदलाव के कारण होता है जो की पीरियड्स के दौरान अक्सर महिलाओं में होते ही है। इसमें व्यक्ति एक ही पल में किसी बात पर खुश होता है तो दुसरे ही पल उसे अवसाद जैसी भावनाएं महसूस होने लगती है परन्तु कुछ स्थिति में मूड स्विंग्स परिस्तिथि या वातावरण में बदलाव के कारण भी होते है इसे समझे जाने की आवश्यकता है।

अक्सर घरो में यह देखा जाता है की महिलाएं बहुत खीजने लगती है जिसके कारण चिडचिडापन आने लगता है और घर के पुरुष यह नहीं समझ पाते है की उन्हें क्या हो रहा है। हम बात करते है पति पत्नी को लेकर ही। यदि कभी आपकी पत्नी कोई बात न होने पर ही बहुत गुस्से में आ जाती है या फिर चिड़ जाती है और आप व आपकी पत्नी इसे समझ नहीं पाते है की अचानक इतना गुस्सा और चिडचिडापन क्यों?

तो इस आर्टिकल को आखरी तक जरुर पड़े क्या पता आपके वैवाहिक जीवन के बीच बेवजह पनपते तनाव का समाधान मिल जाये।

हर पतियों को इस बात को समझना चाहिए की महिलाओं के हर महीने आने वाले पीरियड सिर्फ उन्हें शारीरिक कष्ट ही नहीं देते इसका असर उनके शादीशुदा जीवन पर भी झलकता दिखाई देता है। प्री मेनस्ट्रूअल सिंड्रोम एक ऐसे तकलीफ है जो की महिलाओं में पीरियड्स आने से पहले शुरू होती दिखाई है जिसे PMS भी कहा जाता है। जो की महिलाओं को हर महीने सहन करनी पड़ती है लेकिन ताज्जुब तो इस बात का है कि ज्यादातर महिलाओं को ही अपनी इस परेशानियों का पता नहीं होता तो पति व अन्य पुरुष वर्ग कैसे समझेंगे।

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चलिए जाने कुछ जरुरी बाते -:

जरुरी है इस समय शरीर का बेहतर ख्याल –

पीरियड्स के दिनों में महिलाओं को अपने शरीर का खास ध्यान रखना जरुरी है इस स्टेज में उनकी शरीर की इम्युनिटी का लेवल बहुत ही कमजोर होता है, जिस समय यदि ठीक से ध्यान न रखा जाए तो शरीर में बीमारी बढ़ने लगती है। इतना ही नहीं भविष्य में आने वाली संतान पर भी इसका असर दिखता है क्योकि मां का शरीर कमजोर होगा तो बच्चा भी कई व्याधियों के साथ जन्म लेगा इसलिए अपनी डाइट को भरपूर तरीके से ले यदि मूड में बदलाव होते दिखे तो उन कामों को करे जो आपको ख़ुशी दे।

खुद समझे कुछ बातों को –

सबसे पहले महिलाओं को इसकी जानकारी होनी चाहिए की माहवारी के दिनों से कुछ दिन पहले और बाद में व इसके दौरान भी मूड स्विंग्स होते है जिसके कारण गुस्सा और चिड़चिड़ापन होता है क्योकिं जब उन्हें खुद को इस बारे में पता होगा तो वह इस पर कण्ट्रोल कर सकेगी साथ ही पति और घर के लोगो से इस बात को शेयर कर पाएँगे।

पति भी निभाए फ़र्ज़ –

यदि पीरियड्स के दौरान आपकी पत्नी बिन वजह ही गुस्सा हो रही या चिढ़ा हुआ महसूस कर रही है तो आपको भी इस बात को समझाना होगा की यह उन्हें शरीर में हार्मोन्स के असंतुलन के वजह से हो रहा है जो की उनके हाथ में कतई नहीं है और आपको उनका ध्यान भी रखना होगा। सेक्सुअल लाइफ को एक तरफ रखकर अपने पार्टनर की तकलीफ को समझे न की उनके इस रवैये को हर महीने के ड्रामे का नाम दे। आपका यही बेरूखे व्यव्हार से उनका चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है और इसका नतीजा आपके रिश्ते में तनाव ही आएगा इसलिए उनकी इस प्रॉब्लम को समझे और एक खुशहाल जीवन जियें।

पीरियड्स की जानकारी पुरुषो को भी हो –

लड़कियों के साथ-साथ लड़कों में भी सेक्स एजुकेशन के साथ इस बात को लेकर भी जागरूकता लाई जानी चाहिए की लड़कियों को पीरियड्स में होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव से क्या-क्या सहन करना पड़ता है और ऐसा क्यों होता है। यह उनके पर्सनल लाइफ के लिए जरुरी भी है ताकि जब वे एक पति बने तो अपनी पत्नी की तकलीफ समझे और अपनी पत्नी को इस तकलीफ से निज़ात दिला सके।

आपने जाना –

Mood Swings Problem in Periods में आपने जाना की क्यों महिलाओं को माहवारी के समय अजीब और चिड़चिड़ा महसूस होता है। वैसे इस पर काफ़ी जागरूकता तो आई है कई विज्ञापनों के द्वारा इस बात पर चर्चा होने लगी है की महिलाओं को पीरियड्स के समय सफाई और अच्छे खानपान का बहुत ध्यान रखना चाहिए परन्तु अभी भी महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर जौर देने की जरुरत है।

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