Monsoon Diseases and Preventions

Rainy Season Diseases and Control : बरसात के मौसम में बीमारी सिर्फ तीन कारणों में से किसी एक वजह से होती है हवा, मच्छर, दूषित भोजन व पानी। आइये जानते है बरसात में होने वाली सबसे मुख्य बीमारियाँ (Monsoon Diseases) कौनसी व आपको इससे बचाव (Preventions) कैसे करना चाहिए..


देशभर में मानसून ने दस्तक दे दी है गर्मी का एहसास कम होने लगा है पर जहाँ सभी को चिलचिलाती धुप से मिलने वाली इसी राहत का इंतेजार था वहीँ यह मौसम कई और बिमारियों (Monsoon Disease) को साथ में लेकर भी आएगा क्योंकि यह मौसम कई हानिकारक जीवाणुओं और विषाणुओं के बढ़ने का समय होता है जो की बिमारियों को बढ़ाने का काम करते है।

इस मौसम में नमी, कीचड़ और पानी के एक साथ कई समय तक इकट्ठा रहने से संक्रमण का खतरा दुसरे मौसम की तुलना में अधिक होता है और इस मौसम में व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने से बीमारी होने का डर सबसे ज्यादा होता है इसलिए इस समय कुछ जरुरी एहतियात (Prevention) बरतने बेहद जरुरी है। एक सही और व्यवस्थित जीवनशैली का पालन करना बहुत आवश्यक है।

आइये जानते है बरसात में होने वाली सबसे मुख्य बीमारियाँ (Monsoon Illness) कौनसी है व आपको इससे बचाव (Control) कैसे करना चाहिए।

Monsoon Diseases and Preventions

बरसात के मौसम में बीमारी सिर्फ तीन कारणों में से किसी एक वजह से होती है हवा, मच्छर, दूषित भोजन व पानी –

मच्छर जनित रोग (Mosquito Borne Diseases)

बरसात का मौसम मच्छरों के पनपने का मौसम कहा जा सकता है। मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर सबसे ज्यादा इसी मौसम में पनपते है। डेंगू होने का प्रतिशत की यदि बात की जाए तो विश्व में 34% डेंगू के मरीज भारत के होते है।

मलेरिया (Malaria) – Monsoon Diseases and Preventions

यह प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलती है। हालांकि, इस बीमारी का रोका जा सकता है व इसका ईलाज भी संभंव है, इसका संचरण मुख्य तौर पर वर्षा के दौरान होता है व किन्ही परिस्तिथियों में यह जलवायु पर भी निर्भर करता है। लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 10-15 दिनों के बाद दिखाई देते हैं, जिसमें निम्न लक्षण शामिल हो सकते हैं –

  • उच्च बुखार
  • शरीर दर्द मध्यम से गंभीर
  • ठंड लगना
  • शरीर के तापमान में गिरावट के कारण अत्यधिक पसीना आना
  • सिर दर्द
  • जी मिचलाना
  • उल्टी दस्त।

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डेंगू (Dengue)

यह एक मच्छर जनित रोग है जो की एडीज एजिप्टी प्रजाति के मादा मच्छरों के काटने से फैलता है। डेंगू वायरस आमतौर पर केवल हल्के फ्लू जैसी बीमारी पैदा करता है। लेकिन कभी-कभी यह डेंगू रक्तस्त्रावी बुखार के रूप में भी उभर सकता है जो की काफ़ी गंभीर स्तिथि उत्पन्न कर सकता है जो की जानलेवा भी हो सकती है। संक्रमित मच्छर के काटने के बाद 4-10 दिनों के बाद में इसके लक्षण उभर सकते है जो की 2-7 दिनों तक रहते है जिसमें निम्न लक्षण शामिल हो सकते हैं –

  • भयानक सरदर्द
  • आँखों के पीछे दर्द
  • मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
  • जी मिचलाना
  • उल्टी, सूजन, खरोंच।

चिकनगुनिया (Chikungunya) – Monsoon Diseases and Preventions

चिकनगुनिया एक मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है जो संक्रमित मच्छरों (एडीज इजिप्टी) द्वारा मनुष्यों में फैलती है और चिकनगुनिया वायरस के कारण होती है। ये मच्छर रुके हुए पानी में पनपते हैं और आपको न केवल रात में बल्कि दिन में भी काट सकते हैं मुख्य लक्षणों में शामिल है –

  • तेज बुखार
  • शरीर दर्द
  • जोड़ो में भयंकर दर्द।

Prevention from Mosquito Borne Diseases

बरसात के मौसम के शुरू होते ही इन बातों को याद रखे और इनका पालन भी करे –

  • घर के आसपास पानी जमा होने न दे।
  • कूलर, बाल्टी या ऐसी कोई चीजें जिनमे कई समय से पानी रखा हुआ रहता है उनकी सफाई करते रहे।
  • सफाई का पूरा ध्यान रखे व अपने बाथरूम की सफाई भी नियमित रूप से करे।
  • जरुरत लगे तो कीटनाशकों का इस्तेमाल भी करे।
  • कचरे को भी ज्यादा देर इकट्ठा न रहने दे।
  • मच्छर दिन में भी काटते है इसलिए ऐसे कपड़े पहने जिससे मच्छर और त्वचा का संपर्क न हो पायें।
  • सोते समय मच्छर दानी का उपयोग करे।

पानी जनित रोग (Water Borne Disease)

बरसात के मौसम में पानी दूषित होने से कई ऐसे रोग उत्पन्न होने लगते है जो की मृत्यु का कारण भी बन जाते है पानी में पनपने वाले जीवाणु हैजे और टाइफाइड जैसी कई बीमारियाँ उत्पन्न करते है जिन्हें यदि सही समय पर उपचारित न किया जाए तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है दूषित पानी की वजह से भोजन भी दूषित हो जाता है इस तरह से दूषित भोजन और पानी से रोग फैलने का डर रहता है

टाइफाइड (Typhoid) – Monsoon Diseases and Preventions

टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी के कारण होने वाला एक जानलेवा संक्रमण है। यह आमतौर पर खुला या खराब भोजन या दूषित पानी के सेवन से फैलता है। रिपोर्टों से पता चलता है कि दुनिया भर में हर साल 11-20 मिलियन लोग टाइफाइड से बीमार होते हैं और 1.2 से 1.6 लाख लोग इससे मर जाते हैं। लक्षणों में शामिल हैं:

  • लंबे समय तक बुखार
  • थकान, सिरदर्द
  • जी मिचलाना
  • पेट में दर्द, कब्ज दस्त।

हैज़ा (Cholera)

हैजा विब्रियो हैजा जीवाणु से दूषित भोजन या पानी के सेवन के कारण होता है। यह दस्त से जुड़ा है, जिसमे यदि रोगी को इलाज न मिले तो वह घंटों के भीतर मर सकता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट है कि हर साल दुनिया को हैजा के 1.3 से 4.0 मिलियन मामलों का सामना करना पड़ता है। संक्रमित लोगों में से अधिकांश में गंभीर निर्जलीकरण (Dehydration) के साथ पानीदार दस्त सहित कोई अन्य या हल्के लक्षण नहीं होते हैं।

Prevention from Water Borne Diseases

  • हमेशा साफ़ और स्वच्छ पानी पियें।
  • खाने-पीने की चीजें हमेशा सफाई से बनी हों इसका ध्यान रखे।
  • हाथों को बिना धोएं किसी भी खाने-पीने की चीज को हाथ न लगाये।
  • किन्ही भी फलों व सब्जियों का सेवन करने से पहले उसे गुनगुने पानी से जरुर धोएं।
  • ध्यान दे की आपके इलाके के नालों व गड्डों को ढंका गया हो।
  • ऐसे तालाबों या नदियों में जहाँ जानवरों को नहलाया या उनकी गन्दगी बहाई जाती हों ऐसे जगह पर जाने से बचे।
  • यदि आपके बच्चों को इसका टिका न लगा हो तो टिका जरुर लगवाएं।

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हवा जनित रोग (Air Borne Disease)

मानसून में कई तरह के हवा जनित संक्रमण भी होते है जो की हवा के माध्यम से फैलते है जिसमे छोटे-छोटे रोगजनक विषाणु (Virus) हवा में फ़ैल कर रोग फैलाते है जिसके कारण फ्लू, सर्दी, खांसी और गले में दर्द और खराश हो सकती है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जैसे वृद्ध व बच्चे उन्हें संक्रमण का डर सबसे ज्यादा होता है।

सामान्य जुकाम (Cough and Cold) – Monsoon Diseases and Preventions

मानसून के दौरान तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव सामान्य सर्दी और फ्लू जैसे वायरल संक्रमण का कारण बन सकता है। सामान्य सर्दी और फ्लू के समान लक्षण होते हैं इसलिए अकेले लक्षणों के आधार पर उनके बीच अंतर करना मुश्किल है। फ्लू के लक्षण अधिक तीव्र होते हैं जबकि सर्दी के लक्षण आमतौर पर फ्लू की तुलना में कम होते है।

इन्फ्लुएंजा (Flu)

इसे आमतौर पर मौसमी “फ्लू” के रूप में जाना जाता है और यह इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है जो नाक, गले और कभी-कभी फेफड़ों को संक्रमित करता है। यह हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। फ्लू के लक्षण में शामिल है –

  • बुखार या बुखार / ठंड लगना
  • खाँसी, गला खराब होना
  • बहती या भरी हुई नाक
  • मांसपेशियों या शरीर में दर्द
  • सिर दर्द, थकान, उल्टी और दस्त।

हवा जनित रोगों से बचाव के उपाय (Prevention from Air Borne Diseases)

  • खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को ढकें।
  • अपने बच्चों को ऐसे लोगों से दूर रखें जो पहले से ही संक्रमित हैं।
  • बच्चों के बाहर से घर आने पर हाथ-पैर अच्छी तरह धुलवायें।
  • हर कुछ घंटों में गर्म पानी पिएं।
  • अपने घरों को हर समय अच्छी तरह हवादार रखें।
  • हर साल फ्लू के टीके का वैक्सीन लगवाएं।

याद रखे रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होता है, मानसून की इन सामान्य बीमारियों से खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखना और इसकी जानकारी रखना आवश्यक है इसलिए डरे नहीं सिर्फ सतर्क रहे। हालांकि, खुद से इलाज न करें और स्वयं से दवा लेने से बचें। यदि आप ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

आपने जाना (Conclusion of This Article)

Monsoon Diseases and Preventions में आज हमने जाना की बरसात के मौसम में कौनसी ऐसी बीमारियाँ है जो की हो सकती है व आपको इनसे बचाव कैसे करना चाहिए। ऊपर हमने आपसे कहा है की किसी भी बीमारी के बाद में ईलाज से बेहतर है की आप उस बीमारी से बचाव करे इसलिए बचाव को प्राथमिकता दे।

FAQ (Frequently Asked Questions)

1. What are most common diseases during rainy season? | बरसात में होने वाली सामान्य बीमारियाँ कौनसी है

बरसात के मौसम में आमतौर पर मलेरिया, डायरिया, फ्लू, डेंगू व हैजा जैसी बीमारियाँ होती है

2. What is monsoon disease? | मानसून बीमारियाँ क्या होती है

मानसून में हवा, पानी व मच्छरों से कई तरह के रोग फैलते है जो इन्हें मानसून डिजीज कहा जाता है

3. How can we prevent diseases in rainy season? | बरसात में होने वाली बिमारियों से कैसे बचें

बरसात के मौसम में बीमारी से बचने के तरीके – सफाई रखे, साफ पानी और भोजन खाए, मच्छरों को पनपने न दे, गुनगुने पानी का सेवन करे आदि

4. Why people get sick during rainy season? | बरसात में लोग बीमार क्यों पढ़ते है

बरसात के शुरूआती समय में उमस होती है इस तरह मौसम के एकसाथ सर्द और गर्म होने से शरीर के इम्यून सिस्टम को एडजस्ट करने में समय लगता है व जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है वे जल्दी बीमार पढ़ जाते है

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