family benefits in hindi

समय बदल रहा है और समय के साथ साथ बदल रही है सबकी सोच। आज का समय ऐसा हो गया है की हर कोई अपनी जिंदगी को अपने मन मुताबिक और आजादी के साथ जीना चाहता है और जीवन जीने की इसी सोच ने परिवारों को बहुत छोटा-सा कर दिया है जिसके कारण family की importance ख़त्म होती जा रही है जिसका सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ता है। एक घर मतलब अब केवल पति पत्नी और एक बच्चे से मिलकर बना परिवार हो गया है । 

आजकल न्यूक्लियर फॅमिली बहुत चलन में है, यह बात बिलकुल सही है की छोटी फॅमिली में ज्यादा खिटपिट नहीं होती है, मन मुटाव भी सिमित रहता है पर इस न्यूक्लियर फॅमिली का सबसे ज्यादा असर पड़ता है घर के बच्चो पर । कैसे ? आइये जानते है –  

Importance of Family

ज्यादातर न्यूक्लियर फॅमिली में पेरेंट्स वर्किंग होते है अपने वर्क को सँभालने के चक्कर में वह अपने बच्चो की तरफ ध्यान नहीं दे पाते है जिससे बच्चो में हीन भावना आने लगती है और वह गुस्से और चिडचिडेपन के शिकार होने लगते है, जो की उनके ग्रोथ के लिए बिल्कुल सही नहीं है साथ ही माँ-पिता का ध्यान कम होने की वजह से बच्चे गलत काम करना भी सिखने लगते है । इसके लिए माँ-पिता बच्चे के लिए कोई केयर टेकर रख देते है जो की उसकी देखभाल करे । पर सोचिये क्या अपने जिगर के टुकड़े को किसी और भरोसे छोड़ के निश्चिंत हो जाना सही है ? क्या वह आपके बच्चे की देखभाल उसी तरह से करेगी जिस तरह से कोई अपना करेगा ?

असल मे इस प्रॉब्लम का solution है की घर में बड़े-बुजुर्गो हो । वह केवल उसका ध्यान ही नहीं रखेगे बल्कि आपके घर को मजबूती से बांधकर भी रखेगे साथ ही आपके बच्चे अपने दादा-दादी के साये में जीवन के जरुरी गुण भी सीखेंगे तो चलिए आज आपको बताते है की इससे आपके बच्चो को और क्या फायदा होगा।

Family Importance –

1. इमोशनली होते है स्ट्रोंग

माँ-पिता अपने बच्चो के लिए केयर टेकर रखते है हो सकता है की वह आपके बच्चे का ध्यान बहुत ही अच्छे से रखे पर क्या वह आपके बच्चो को इमोशनली स्ट्रोंग बना पाएँगे ? नहीं क्योकि बच्चो को कोई ऐसा चाहिए होता है जिससे वह आपने मन की बाते और फीलिंग्स को कह सके । ऐसे में घर के बड़ो के होने से उन्हें भी लगता है की कोई अपना उनके साथ है जिससे वह बोल सकते है । इस तरह वह एक  सुरक्षित जगह पर रहेंगे जहाँ आपको अपने बच्चे के लिए कोई डर नहीं होगा ।  

2. प्यार और देखभाल मिलती है भरपूर

माँ-पिता भले ही बहुत पढ़े लिखे हो पर जितना अनुभव घर के बुजुर्गो को होता है जिंदगी का उतना अनुभव पेरेंट्स को नहीं होता । काम के तनाव और बिजी होने के कारण वह बच्चो को अच्छे से कोई बात समझा नहीं पाते और न ही बच्चे को समझ पाते और कहाँ से समझेंगे किसी के पास समय ही कहाँ है ? ऐसे में बच्चे के दादा-दादी का होना ही सही है क्युकी अगर आप बच्चो के लिए समय नहीं निकालेंगे तो बच्चो का गलत रास्ते जाना तय है ऐसे में आपके घर के बुजुर्ग जिन्होंने आपसे ज्यादा दुनिया को समझा है जाना है वह आपके बच्चो को बेहतर, सरल और प्यार भरी भाषा में समझाने में सफल रहेंगे क्युकी वह आपसे ज्यादा अनुभवी है ।

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3. मिलते है बेस्ट फ्रेंड (Family Importance)

कहते है बुढ़ापा मतलब एक और बचपना ऐसे में यदि आपके बच्चो के साथ उनके दादा-दादी होने से उन्हें एक फ्रेंड की कंपनी मिल जाती है यदि पेरेंट्स घर पर न भी हो तो बच्चे अकेला महसूस नहीं करते है बल्कि और ज्यादा खुश रहते है । बच्चो की अपने दादा दादी से बॉन्डिंग बहुत अच्छी होती है जिससे वह बोरिंग फील नहीं करते है । बुजुर्ग बातों ही बातो में बच्चों को संस्कार, परिवार की कीमत, बड़ो का आदर करना और चीजों को शेयर करना जैसी बहुत सी अच्छी बाते सिखा देते है ।  

4. सीखते है जीने की पद्धति

लोग अपने संस्कारो और रीति रिवाजो को भूल रहे है जिसका एक मात्र कारण है बुजुर्गो की अनुपस्तिथि  ।दिन प्रतिदिन डिप्रेशन के मरीज बढ़ते जा रहे है पता है क्यों ? क्योकि आज के समय में कोई किसी को एक अच्छी बात (जो की उसके मनोबल को बढ़ा सके) तक कहने से पहले दो बार सोचता है । बुजुर्ग अपने जीवन के कडवे अनुभव के आधार पर अपनी बातों से एक पॉजिटिव टॉनिक दे सकते है यह आपके बच्चो और आपके लिए बहुत जरुरी है । बच्चे अपने बड़ो से ही सबकुछ सीखते है इसलिए उन्हें अपने दादा-दादी के पास रखे जिससे वह रीति रिवाजो, व्रत, त्यौहार तथा भगवान के प्रति आस्था भाव रखना सीखे । 

5. जीवन की जरुरी सीख

शायद आपने भी अपने बचपन में अपने दादा दादी से कोई न कोई कहानी जरुरी सुनी होगी और हर कहानी का एक मोरल मतलब की एक नैतिक शिक्षा भी आपको सिखाई गई होगी । अब आपके पास इतना समय नहीं है की आप यह सब आपने बच्चो को सिखा पाए तो इस वक्त बेहद जरुरी है उनके साथ उनके ग्रैंड पेरेंट्स हो । जो उन्हें प्यार और नैतिक शिक्षा दोनों ही दे । बच्चो को उनकी कहानियां और मजेदार किस्से सुनने में बहुत ख़ुशी मिलेगी । वे आपके बच्चो की हर समस्या का हल शांति से निकाल देंगे जिससे आपके बच्चों के कोमल मन पर कोई बुरा असर भी नहीं होगा ।

पर अब आप कहेंगी की आपके साँस ससुर से आपकी नहीं बनती क्योकि की वह आपके निजी जिंदगी में दखल देते है जिससे घर में तनाव होता है तो तनाव कहाँ नहीं होता । क्या छोटी फॅमिली में कोई समस्या नहीं होती ? याद रखे जीवन में adjust करना ही सही है क्योकि हर चीज आपने मन मुताबिक कभी नहीं हो सकती इसलिए अपने बुजुर्गो को अपने साथ रखे । उन्हें आपसे ज्यादा जिंदगी का और दुनियादारी का अनुभव है यह आपके लिए भी बेहतर है और आपके बच्चो के लिए भी । यदि आपके बड़े बुजुर्ग शहर में नहीं रहते है और आप भी जॉब की मज़बूरी के कारण उनके साथ नहीं रहते है तो अपने बिजी समय में से थोडा समय निकाल कर अपने बच्चो को उनके पास जरुर लेकर जाएँ । इससे बच्चो को भी नयापन मिलेगा जो की उनकी मेंटल हेल्थ के लिए बहुत जरुरी है ।           

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