Improve Child Mental Health

आइये जानते है क्यों आपका बच्चा आपसे ज्यादा मोबाइल में लगा रहता है व आपको इसके लिए क्या कदम उठाये जाए जिससे आपका लाडला/लाडली इस लत से दूर हो सके और उनका मानसिक स्वास्थ्य (Improve Child Mental Health) ठीक रहे ये तरीके सच में प्रभावी है यदि उन्हें बच्चों पर कम उम्र में लागु कर दिया जाए


माता पिता के लिए सबसे मुश्किल कामों में से एक होता है अपने बच्चों का पालन करना। बच्चों के लालन-पालन के साथ उनके स्वास्थ्य की परवाह भी माता-पिता को होती है की कंही उन्हें बुखार तो नहीं या कहीं उन्हें किसी तरह की अन्य परेशानी तो नहीं है लेकिन यदि बात की जाए की बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की तरफ ध्यान देने की तो इस पर माता-पिता ज्यादा ध्यान नहीं देते। बच्चों को अक्सर घर में अनसुना कर दिया जाता है या फिर उनकी सुनी भी जाए तो सिर्फ उनका मन रखने के लिए। माता पिता कभी बच्चों के नजरिये को समझने की कोशिश नहीं करते जिसका नतीजा होता है बच्चों का डिप्रेशन में जाना जिसका असर उनके स्वास्थ्य के साथ उनकी व्यक्तित्व विकास पर भी पडता है।

माता-पिता बच्चों को अच्छे से अच्छा भोजन खिलाते है उनके होमवर्क को पूरा करने में मदद करते है पर उनके मन-मस्तिष्क पर बुरा असर तो नहीं पड़ रहा इस ओर नहीं सोचते। वैसे आज के समय में बच्चों को डिप्रेशन में जाने और चिडचिडे होने का कारण ज्यादा समय तक मोबाइल स्क्रीन पर समय बिताना भी है। Covid-19 के बाद से तो बच्चों को मोबाइल, टेबलेट की लत लग चुकी है। इस लत ने बच्चों में psychologically harmful problems को जन्म दे दिया है जो की माता-पिता और टीचर्स के लिए चिंता की बात बन गई।

How to Improve Child Mental Health

यदि आप इसमें के पेरेंट्स है जो की यह कहे की आपका बच्चा आपके साथ ज्यादा समय नहीं बिताता और दिनभर मोबाइल से चिपका रहता है तो इसकी वजह आप भी हो सकते है। आइये जानते है क्यों आपका बच्चा आपसे ज्यादा मोबाइल में लगा रहता है व आपको इसके लिए क्या कदम उठाने चाहिए जिससे आपका लाडला/लाडली इस लत से दूर हो सके और उनका मानसिक स्वास्थ्य (Improve Child Mental Health) ठीक रहे ये तरीके सच में प्रभावी है यदि उन्हें बच्चों पर कम उम्र लागु कर दिया जाए…

बच्चों के साथ समय बिताये

जी हाँ, आपका बच्चा दूसरी चीजों के साथ बीजी इसलिए है क्योंकि आप उनके साथ टाइम स्पेंड नहीं कर पाते है। यकीन मानिए ये एक बहुत ही अच्छा तरीका है अपने बच्चों के साथ दोस्ती करने का। रिश्तों कोई भी हो उसे समय देने से उसमे अपनापन झलकने लगता है इसलिए एक स्ट्रांग पेरेंट्स-किड्स रिलेशनशिप के लिए बच्चों के साथ समय बिताये जिससे उन्हें आपके प्यार का एहसास हो और वो खुद को सुरक्षित महसूस करे। इसके लिए जरुरी है माता-पिता दोनों मिलकर एक कोई टाइम फिक्स करे जिस पर आप सिर्फ और सिर्फ उनके साथ ही होंगे और इस दौरान आप भी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करेंगे। इस समय आप चाहे तो बच्चे का पसंदीदा कोई खेल खेलें या मूवी देखे या फिर उससे उसके दिन के बारे में पूछें। इससे न केवल आपका बच्चा पर साथ ही आप खुद भी स्ट्रेस फ्री हो सकेंगे।

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बच्चों की सुने | Improve Child Mental Health

माता-पिता अपने बच्चों की बातों को अक्सर अनदेखा कर देते है क्योंकि उन्हें लगता है ये सब अनावश्यक है। यदि बच्चा अपनी भावनाओं को आपसे कह रहा है तो उसे आपको सुनना चाहिए पर माता पिता इसे नजरंदाज कर देते है और उन्हें डांटकर चुप करा देते है पर इससे बचना चाहिए। इसी कम्युनिकेशन गेप के कारण या तो बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है या फिर वो आपसे बातें छुपाने लगता है जो की किसी बड़ी समस्या को जन्म दे सकता है यदि इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाएँ। अगर आपके बच्चे को कम्युनिकेशन में प्रॉब्लम होती है जो ऐसे स्थिति में उन्हें खुलकर बात करने के लिए एक व्यक्ति विशेष की जरुरत हो सकती है जिसके साथ वे अपने विचार, इच्छाएं और अन्य बातें शेयर कर सके इसके लिए आप किसी काउंसलर की हेल्प ले सकते है।

“लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दो से तीन साल की उम्र के बच्चे दिन में तीन घंटे से ज्यादा समय आईपैड और टेलीविजन जैसे डिस्प्ले के सामने बिताते हैं। वे उन बच्चों की तुलना में जो दिन में एक घंटे से अधिक स्क्रीन का उपयोग नहीं करते हैं, कम शारीरिक रूप से सक्रिय होते हैं, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है।”

बच्चों की तारीफ करे

हर किसी को तारीफ सुनना पसंद होता है बच्चें भी अपनी प्रसंशा सुनकर खुश होते है तारीफ करने से मतलब यहाँ ये नहीं है की आप बच्चों की झूटी तारीफ करें। नहीं, आपके बच्चों को बेमतलब झूटी तारीफ का आदि न बनाये पर यदि आपका बच्चा छोटा-सा ही सही पर कोई सराहना वाला काम करता है तो उसकी पीठ जरुर थपथपाएं और शाबासी दे। इससे बच्चा और बेहतर काम करने की कोशिश करेगा। कई माँ-बाप अपने बच्चों की तारीफ नहीं करते जबकि हर माता-पिता अपने बच्चों को किसी भी गलत काम के लिए डांटते हैं, लेकिन उनके द्वारा दिखाए गए किसी भी गुण के लिए उनकी सराहना करना महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, उनके अच्छे काम के लिए छोटा-सा गिफ्ट देकर उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।

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ज्यादा उम्मीदें न रखे | Improve Child Mental Health

देखिये इस बात पर भी ध्यान देना जरुरी है की हर बच्चे की अपनी कैपिसिटी होती है किसी और से तुलना करने आप उसमे खुद के लिए हिन भावना भर सकते है इससे बच्चा सभी से दूर रहने लगता है और उसमे नकारात्मक भाव बढ़ने लगते है। अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए उनकी तुलना किसी और से न करके उन्हें खुद के गोल्स को कैसे पाया जाए उसके लिए मोटीवेट करे। सोचिये क्या आपको अच्छा लगेगा की जब आपका बच्चा कहे की उसके किसी दोस्त के माता-पिता आपसे बेहतर है। नहीं न, उसी तरह उन पर भी बेहतर बनने के बोझ को न डालें इसलिए यदि आपका बच्चा छोटा-सा ही सही पर कुछ अचीव करे तो उसके प्रयासों की तारीफ करे और उसे मोटीवेट करे। आपकी मोटिवेशन से भरी हुई एक लाइन आपके बच्चे को डिप्रेश होने बचा सकती है।

तनाव से निपटने के तरीके सिखाये

आज के कॉम्पिटीशन के ज़माने में तनाव होना सामान्य बात है हम भर के माहौल को ज्यादा नहीं बदल सकते पर हम बच्चों को कुछ ऐसी हैबिट सिखा सकते है जो उन्हें तनाव से निपटने में मदद कर सकती है। वैसे सिर्फ बच्चों को ही नहीं तनाव को मैनेज करने का तरीका हम सभी को पता होना चाहिए क्योकिं अब तनाव सबके जीवन का हिस्सा बन चूका है। माता पिता को लगता है की बच्चों को किस बात का तनाव ? पर बच्चों को भी तनाव को झेलना पड़ता है उन्हें अतिरिक्त पढाई का तनाव, आपकी उम्मीद पर खड़े न हो पाने का तनाव और साथ अपने दोस्तों के साथ तालमेल न बैठा बाने का तनाव बेहद परेशान करता है।

उन्हें ऐसे स्थिति से बचने के लिए और इस समस्या को दूर करने के लिए दिमाग को मजबूत करने के तरीके बताये जाने चाहिए। आप उन्हें इसी उम्र में मैडिटेशन के लिए मोटीवेट करे यदि बच्चा नहीं करता है तो आप उन्हें अपने साथ बैठाकर प्राणायाम करे इससे वो भी इसे फॉलो करेगा/करेगी।

आपने जाना –

आज के आर्टिकल में हमने जाना How to Improve Child Mental Health उम्मीद करते है ये आर्टिकल आपके लिए फायदेमंद रहेगा। ऊपर बताये गए सभी तरीके बच्चों को मनौवैज्ञानिक रूप से मजबूत करने के लिए बेहद फायदेमंद है अपने बच्चों के साथ घुले-मिले और उन्हें बताये की आप उन्हें कितना प्यार करते है उनका आपके जीवन में क्या महत्त्व है ताकि वो भी आपको जीवन में महत्त्व दे। यदि आपको हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो प्लीज इसे शेयर जरुर करे।

Frequently Asked Question

मानसिक बीमारी में क्या खाना चाहिए?

दिमाग को सुचारू रूप से काम करने में ओमेगा-3 फैटी एसिड मदद करता है। इसके लिए डाइट में अलसी के बीज, सोयाबीन तेल, नट्स, फैटी फिश, पत्तेदार हरी सब्जियां जरूर शामिल करें। अपनी डाइट में एंटीऑक्सिडेंट्स और गुड कार्ब्स युक्त चीज़ों को जरूर जोड़ें। विटामिन-ए, सी और इ में एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं।

तनाव के लिए कौन सा हार्मोन जिम्मेदार है?

एंडोर्फिन हॉर्मोन के कारण हमें आनंद की अनुभूति होती है, उसी तरह से तनाव के लिए कोर्टिसोल हॉर्मोन को मुख्य कारक माना जाता है. तनाव (Stress) प्रतिक्रिया के संबंध के कारण कोर्टिसोल को ‘स्ट्रेस हार्मोन‘ भी कहा जाता है.

ज्यादा सोचने और टेंशन लेने से क्या होता है?

ज्यादा टेंशन लेने से स्ट्रेस की समस्या हो सकती है. स्ट्रेस ना सिर्फ आपका ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है, बल्कि कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल भी बढ़ा देता है. जिससे दिल पर सीधा बुरा असर पड़ता है और दिल की बीमारी विकसित हो सकती है. दिल की तरह टेंशन दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकती है.

डिप्रेशन का कारण क्या है?

असफलता, संघर्ष और किसी अपने से बिछड़ जाने के कारण दुखी होना बहुत ही आम और सामान्य है। परन्तु अगर अप्रसन्नता, दुःख, लाचारी, निराशा जैसी भावनायें कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक बनी रहती है और व्यक्ति को सामान्य रूप से अपनी दिनचर्या जारी रखने में भी असमर्थ बना देती है तब यह डिप्रेशन नामक मानसिक रोग का संकेत हो सकता है।

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