भगवान शिव को त्रिदेवों में विशेष स्थान है त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) इस दुनिया के रचनाकार, पालनहार व संहारक है। महादेव अपने सौम्य और रौंद्र दोनों रूपों को लिए हुए है। (सत्यम, शिवम्, सुन्दरम्) शिव का अर्थ है कल्याणकारी। दुनिया में लय एवं प्रलय दोनों ही भोलेनाथ शिवशंकर के अधीन है। शंकर महादेव सभी देवताओं में विशेष है इसलिए उन्हें देवों के देव महादेव की संज्ञा दी गई है। (Mahashivratri Puja 2022)
सभी जानते है की महाशिव रात्रि भगवान शिव शंकर महादेव को समर्पित विशेष रात्रि है यह फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। ईशान संहिता के अनुसार इस दिन महादेव शिव शंकर करोड़ों सूर्य के प्रभाव से पूर्ण एक लिंग (ज्योतिर्लिंग) के रूप में प्रकट हुए थे। अग्निपुराण, स्कन्द पुराण, गरुड़ पुराणों में शिवरात्रि के महत्म का वर्णन मिलता है।
- जानिए विशेष महत्त्व
- क्या खास है इस महाशिवरात्रि
- शिव पूजन सामग्री
- शिवरात्रि पर इस तरह करे विधि से पूजन
- जाने शिव पर जल, दूध, फुल और बेलपत्र का अर्पण करने का तरीका
- शिव को न करे इन चीजों का अर्पण
- महाशिवरात्रि के विशेष उपाय करे रोग, दरिद्री, कलेश दूर
विशेष महत्त्व
शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि के दिन से ही दुनिया का निर्माण कार्य शुरू हुआ था ऐसी मान्यता है की इस दिन जो भी शिव पर बेलपत्र का अर्पण कर, व्रत धरकर व रात्रि जागरण करके शिव के मंत्रो का जाप करता है उसे महादेव विशेष आनंद और मोक्ष का आशीर्वाद देते है। एक अलग मान्यता यह भी है इसी दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था इस दिन जो भी शिव की पूजा विधि-विधान से करता है उसे शिव की कृपा प्राप्त होती है।
भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है शंकर, महेश, नीलकंठ आदि जैसे 108 नामों का विवरण शास्त्रों में मिलता है। भगवान शिव कर्पूरगौरं करुणावतारं है उनका शरीर कपूर से भी ज्यादा गौरा है वे करुणा के अवतार है उनकी दया अपने भक्तों पर इतनी है की यदि कोई केवल उनपर श्रद्धा से एक लोटे जल का अर्पण करता है और एक चावल का दाना भी भूल वश चढ़ाता है तो वह उसमे ही खुश होकर अपने भक्त के दुःखों का हरण कर लेते है।
क्या खास है इस महाशिवरात्रि (Mahashivratri Puja 2022)
इस वर्ष महाशिव रात्रि 1 मार्च 2022 (मंगलवार) को है।
ज्योतिषियों में अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि पर दो शुभ योग बन रहे है कहा जाता है की शुभ संयोंगों में विधि विधान से शिव आराधना करने से मन इच्छा फल की प्राप्ति होती है। इस वर्ष धनिष्ठा नक्षत्र में परिघ योग रहेगा धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र होगा। परिघ योग के बाद शिव योग लगेगा। परिघ योग को शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
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शिव पूजन सामग्री
इस महाशिवरात्रि आप यदि महादेव और पार्वती माता की पूजा अर्चना कर रहे है तो आपको इन सामग्रियों विशेष तौर पर आवश्यकता रहेगी। आप मंदिर जाकर पूजा करे या फिर घर पर ही शिव का पूजन करे आपको दी गई इन सामग्रियों को जरुर तैयार रखना चाहिए ताकि पूजा करते समय आपको बार बार इनके लिए उठना न पड़े।
भगवान शिव की आराधना में सबसे विशेष होता है शिव अभिषेक –
अभिषेक के लिए आवश्यक सामग्री –
- पंचामृत अभिषेक के लिए दूध, दही, शहद, घी, शक्कर को मिलाकर या फिर इन्हें एक एक करके भी शिव अभिषेक किया जा सकता है।
- तांबे के पात्र में रखा हुआ शुद्ध जल, साथ ही इसमें गंगा जल की कुछ मात्रा जरुर मिलाये।
श्रृंगार व भोग की आवश्यक सामग्री –
- पान सुपारी, भीगे हुए अक्षत, सूखी भांग, सफ़ेद चन्दन, 2 यज्ञोपवित (श्री गणेश और भगवान शिव के लिए), अष्टगंध, गुलाल।
- कुमकुम, पिला सिंदूर (माता पार्वती एवं श्री गणेश के लिए), सफेद तिल, काला तिल, इत्र, रक्षासूत्र (उपवस्त्र के तौर पर)।
- हल्दी (माता पार्वती एवं गणेश को अर्पित करे लेकिन शिव को अर्पित न करे)।
- धतूरे के फुल, आंकड़े के फुल, धतुरा, बेलपत्र, दूर्वा, शमी पत्र, माता के लिए श्रृंगार।
- भोग के लिए 5 फल (जो भी आप अर्पित करना चाहे विशेष तौर पर नारियल जरुर रखे), सफ़ेद मिठाई।
- धुप आरती – दो बातियों का एक मिट्टी का दीपक, कपूर, धुप बत्ती, माता को धुप देने के लिए हवन धुप।
शिवरात्रि पर इस तरह करे विधि से पूजन (Mahashivratri Puja 2022)
- महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले गणेश पूजन करे।
- इसके बाद पान सुपारी अर्पित करके भगवान शिव का आव्हान करे। (किसी भी देव का आव्हान करते समय उन्हें पान सुपारी अर्पित की जाती है।)
- उसके बाद शिवलिंग को चन्दन का लेप लगाकर फिर उन्हें पंचामृत से स्नान करावे।
- पूजा के समय पंचाक्षर शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहे।
- तांबे के पात्र से गंगा जल अर्पित करे भीगे हुए अक्षत (चावल) अर्पित करे। (ध्यान रखे चावल साबुत हो टुकड़ी न हो)
- इसके पश्चात् आप अन्य सामग्री (सिंदूर, हल्दी छोड़कर) शिव को अर्पित करे।
- शिवलिंग पर धतुरा, शमीपत्र, आकडे के फुल, धतूरे के फुल और बेल पत्र का अर्पण करे।
- माता पार्वती का पूजन करे उन्हें श्रृंगार की सभी सामग्रियों का अर्पण करे फुल अर्पित करे।
- भगवान शिव व माता पार्वती को भोग आर्पित करे महादेव को भांग का भी अर्पण करे।
- धुप-दीप प्रज्वलन करे माता को धुप दे कपूर से आरती करे।
- शिव पूजा के बाद गाय के गोबर के कंडे जलाकर उनपर तिल, चावल और घी को मिलाकर आहुति दे।
- आहुति देने के बाद एक साबुत फल (जैसे-नारियल) की आहुति दे।
अब जाने शिव पर जल, दूध, फुल और बेलपत्र का अर्पण करने का तरीका (Mahashivratri Puja 2022)
कई लोग पूजा पाठ करने के बाद भी कहते है की उनकी पूजा सफल नहीं हुई उनका वह काम पूर्ण नहीं हुआ जिसके लिए उन्होंने विशेष उपाय, पूजा या अनुष्टान किया। इसके पीछे का कारण पूजा सामग्री का ठीक तरह से अर्पण न करना भी है क्योंकि हमारे शास्त्रों में कुछ विशेष चीजों के अर्पण से विशेष फल प्राप्ति का वर्णन दिया गया है इसलिए शिव पूजन (Mahashivratri Puja 2022) करते हुए जल, दूध, फुल और बेलपत्र नीचे बताये गए नियम के अनुसार ही अर्पित करे।
* जल कैसे चढ़ाये
शिव लिंग पर जल चढाने के एक विशेष तरीका होता है जो की कई लोगों को नहीं पता होता है उन्हें लगता है शिव पिंडी पर जल अर्पण करना ही शिव पर जल चढ़ाना हो गया परन्तु नहीं ऐसा नहीं है शिवलिंग पर जल चढाने की भी एक विधि होती है नीचे जाने शिव पर जल अर्पण कैसे करे।
- सबसे पहले शिव के चरण (जहाँ से जल बाहर निकलता है) पर आपके सीधे हाथ की और दूसरा जल फिर उल्टे हाथ की ओर जल चढ़ाये।
- उसके बाद जहाँ शंकर भगवान का शिव लिंग रखा हुआ है वंहा जल चढ़ाये।
- चौथे बार भगवान शंकर के शिव लिंग पर जल चढ़ाये।
- पांचवे बार जल भगवान शिव के जलधारी में चढ़ाया जाता है यदि जलाधारी न हो तो जहाँ भगवान शंकर का नंदी के पैर (नंदी जी का एक पैर ऊँचा रहता है) के पास जल चढ़ाये।
* फुल कैसे चढ़ाये
बहुत से या यह कहे लगभग हर पूजा करने वाला पुष्प का अर्पण गलत तरीके से करता है जब भी हम किसी को फुल देते है तो फुल का मुख लेने वाले के ओर होता है परन्तु जब भी हम भगवान को फुल अर्पित करते है तो हम भगवान को पत्तियों की तरफ से फूलों का अर्पण करते है जो की स्वीकार्य नहीं होते है इसलिए फूलों का अर्पण हमेशा ऐसे करे जिसमे फूलों का मुख भगवान की तरफ हो व पत्तियों का भाग आपकी तरफ हो।
* बेलपत्र कैसे चढ़ाये
जिस तरह से फूलों का अर्पण किया जाता है उसी तरह शिव को बेलपत्र का अर्पण करे मतलब चिकने (अन्दर) भाग को शिवलिंग पर चिपकाये व बाहर का भाग आपके तरफ हो। यदि आप अपने मन अनुसार बेलपत्र का अर्पण कर देते है तो आपको पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है और न ही स्वीकार्य होती है। ध्यान रखे बेलपत्र खंडित न हो पूजा में बेलपत्र पूर्ण ही चढ़ाये देख ले यह कहीं से कटी हुई न हो। कम से कम 3 पत्र वाली बेलपत्र का अर्पण करे यदि 4-5 पत्रों वाली हो तो अति शुभकारी होती है।
* दूध कैसे चढ़ाये
ध्यान रखे भगवान को दूध चढाने के बाद शिव लिंग को ज्यादा ही घर्षण न करे। आपके मन का भाव भगवान का पूजन होना चाहिए। बहुत से लोग शिव लिंग पर दूध,दही, शहद, व घी से ज्यादा घर्षण करते है आपका भाव अर्पण का होना चाहिए न की इन सभी सामग्रियों का भगवान की शिव लिंग पर घर्षण करना। शास्त्र के अनुसार दूध के अर्पण से संतान के सौभाग्य में वृद्धि होती है परन्तु शिवलिंग पर दूध का अर्पण कभी भी तांबे के पात्र से न करे क्योकि तांबे के पात्र में रखा दूध विष समान माना जाता है इसलिए स्टील या चांदी के पात्र से दूध चढ़ावे।
शिव को न करे इन चीजों का अर्पण (Mahashivratri Puja 2022)
कई बार हम पूजा में एक देव को चढ़ने वाली सामग्री को अन्य देवों पर भी अर्पण कर देते है परन्तु हर पूजा का अपना एक विधान तय है जिसके अनुसार पूजन न होने पर उस पूजा कार्य को अपूर्ण माना जाता है इसलिए शिव पूजन (Mahashivratri Puja 2022) में नीचे बताई गई इन चीजों का अर्पण बिल्कुल भी न करे। आइये जानते है क्या है वे चीजें –
* सिंदूर –
- भगवान शिव को सिंदूर न चढ़ावे क्योकि सिंदूर महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए लगाती है परन्तु शिव संहारक है। शिव को छोड़कर सभी देवी- देवताओं को चढ़ाया जा सकता है। सिंदूर की जगह भगवान शिव को चन्दन का तिलक लगाये।
* हल्दी –
- भगवान शिव को हल्दी भी नहीं चढाई जाती क्योंकि हल्दी स्त्री प्रतीक है व शिव पुरुष प्रतीक है इसलिए शिव को भूल कर भी हल्दी का अर्पण न करे।
* शंख–
- भगवान शिव को कभी शंख से जल अर्पण नहीं किया जाना चाहिए। शंख असुर का प्रतीक है भगवान शिव ने शंखचुर नामक असुर को मारा था जो की विष्णु का भक्त था इसलिए विष्णु की शंख से पूजा की जाती है परन्तु शिव पूजा में शंख का उपयोग न करे।
* केतकी का फुल –
- भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूलों का अर्पण नहीं किया जाता है क्योकि शिव द्वारा केतकी के फूलों को एक श्राप दिया गया था जिसके कारण केतकी के फूलों को शिव पूजा में उपयोग करना वर्जित है।
* तुलसी –
- इसके पीछे एक धार्मिक कहानी है जिसमे जालंधर नाम के राक्षस को वरदान प्राप्त था कि उसकी पतिव्रता पत्नी के कारण उसे कोई पराजित नहीं कर सकेगा परन्तु जालंधर जैसे असुर का वध आवश्यक था इसलिए भगवान विष्णु ने जालंधर की पत्नी के पतिव्रता धरम को भंग किया जिसके कारण जालंधर का शिवजी द्वारा मरण संभव हुआ। अपने पति की मृत्यु से रुष्ट तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार किया इसलिए शिव पूजा में तुलसी की उपयोग की मनाही है साथ यदि कोई भगवान शिव के स्नान जल का भी तुलसी में अर्पण करता है तो उसे दोष लगता है।
महाशिवरात्रि के विशेष उपाय करे रोग, दरिद्री, कलेश दूर (Mahashivratri Puja 2022)
बिमारियों के लिए
- किडनी, लीवर या कैंसर जैसे बीमारी से मुक्ति के लिए 7 धतूरे लेकर उसमे से एक धतूरे पर मौली लपेटकर शंकर जी के शिवलिंग के ऊपर चढ़ाये। एक धतुरा गणेश जी के स्थान पर, एक कार्तिकेय जी स्थान पर, एक अशोक सुंदरी पर, एक जगदम्बा जी के हस्त कमल पर, एक जल चढाने के बाद जहाँ से निचे गिरता है ठीक उसी स्थान पर रख दे। उसमे से एक धतुरा लेकर घर आये अव्धुतेश्वर या चम्पेश्वर महादेव का नाम लेकर रोगी से उस धतूरे को स्पर्श कराये फिर उस धतूरे को बेल के वृक्ष नीचे रख दे। धीरे-धीरे रोग में आराम होने लगेगा वैसे यह उपाय 12 महीनो की किसी भी शिवरात्रि को किया जा सकता है पर यह उपाय महाशिवरात्रि को विशेष फलदायी है।
मनोकामना पूर्ति के लिए
- एक काली मिर्ची व सात तिल्ली के दानों को हथेली पर रखकर अपनी कामना अपने मन में कह कर शंकर भगवान के शिव लिंग पर चढ़ावे। आपकी मनोकामना जरुर पूर्ण होगी इस उपाय को मुख्य शिवरात्रि (महाशिवरात्रि) पर करने से जल्दी फल की प्राप्ति होती है।
गृह कलेश मुक्ति के लिए
- यदि घर में आये दिन लड़ाई-झगड़ा होता रहता है आपके घर में अशांति का अनुभव होता है तो गृह कलेश से मुक्ति के लिए गेहूं की 7 बालियाँ लेकर अपने घर में घुमाकर अपने घर का नाम व गौत्र का मन में लेकर उसे शिव को अर्पित करे आपके घर का कलेश ख़त्म होने लगेगा।
धन-वैभव के लिए
- घर में लक्ष्मी, धन-वैभव व अच्छी खेती के लिए भगवान शिव पर शिवरात्रि को एक धतुरा रात्रि को 12 बजे अर्पण करे। आधे घंटे शिवलिंग पर चढ़े रहने दे तब तक पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय या श्री शिवाय नमोस्तुभ्यम का जाप अवश्य करे। आधे घंटे के पश्चात् उस धतूरे को घर पर लाकर लाल वस्त्र में बांध कर दुकान में, घर में या व्यापारिक स्थल पर उसी रात्रि सुबह चार बजे से पहले रख दे। यदि अच्छी फसल के यह उपाय कर रहे है तो उस जमीन इस धतूरे को गाढ़ दे लक्ष्मी में बढ़ोतरी होने लगेगी।
परेशानियों से मुक्ति के लिए
- जो व्यक्ति बहुत ज्यादा परेशानियों से घिरा हुआ रहता हो जिससे आये दिन कोई न कोई बीमारी घेरे रहती हो उसे शिव लिंग पर बेर का अर्पण करना चाहिए। इसके लिए 7 बेर लेकर उसे अपने ऊपर से घुमाकर उसे ले जाकर शिवरात्रि के दोपहर की 12 बजे भगवान शिव के शिव लिंग पर चढ़ा दीजिये आपका रोग, बीमारी ख़त्म होने लगेगी।
आपने जाना –
हमने महाशिवरात्रि विशेष इस पोस्ट में आपको शिव पूजा से सम्बंधित सभी सामग्री, विधि, मुहूर्त, महत्त्व, विशेष उपाय के साथ कुछ वर्जित कार्यों का भी वर्णन किया है। उम्मीद है आपको हमारी यह कोशिश पसंद आई होगी। हमारा प्रयास था की शिवरात्रि से सम्बंधित सभी सवालों का जवाब आपको एक ही आर्टिकल में ही मिल जाये। आपको यह पोस्ट कैसे लगी हमें जरुर बताये।
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