Woman Success Story | बायोकॉन की फाउंडर किरण मजुमदार शॉ की कहानी

दुनिया में कई ऐसी महिलाओं ने अपने दम पर अपना एक मुकाम हासिल किया है और जिसके कारण उनका नाम सबके के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गया है आज ऐसी ही एक हस्ती के बारे में जानेगे जिसने अपने जीवन के कई संघर्षों से लड़ कर एक मिसाल खड़ी की है (Woman Success Story)

किरण मजुमदार शॉ – Woman Success Story 

Life Story –   

  • 23 मार्च 1953 को बेंगलुरु (कर्नाटक) किरण मजुमदार का जन्म हुआ । 
  • बंगलौर के बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल से 1968 में इनकी स्कुल की पढाई पूरी हुई । 
  • इसके बाद इन्होने बीएससी की डिग्री बंगलौर यूनिवर्सिटी से 1973 में पूर्ण की । 
  • 1975 में किरण जी ऑस्ट्रेलिया से ब्रुइंग में एमएससी करके भारत लौटी । 
  • भारत लौटने के बाद उन्होंने जॉब की लिए आवेदन किये ।
  • अपनी योग्यता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने भारत की बीयर उत्पादन कंपनी में अप्लाई किया
  • वहां से उन्हें निराशा ही हाथ लगी और कहा गया की उन्हें appoint करना संभव नहीं है ।

Career Beginning –

  • जब उन्हें भारत में कोई जॉब नहीं मिली तो उन्होंने स्कॉटलैंड जाने का फैसला किया।
  • यही से उनकी तक़दीर ने एक रुख लिया उन्होंने स्कॉटलैंड में एक ब्रुवर की जॉब ज्वाइन कर ली। 
  • जहाँ पर उन्हें आयरिश की उद्यमी लेस्ली औचिनक्लास मिली। 
  • लेस्ली का सपना था भारत में फार्मास्युटिकल का बिज़नस शुरू करने का। 
  • वह किरण मजुमदार से बहुत प्रभावित हुई उन्होंने किरण जी को पार्टनर बनने का ऑफर किया। 
  • किरण जी ने शुरू में उन्हें ना कह दिया था उन्होंने कहा की मेरे पास बिज़नस का कोई अनुभव नहीं है और न ही मेरे पास निवेश करने के लिए पैसे है।
  • लेस्ली ने अपनी बात किरण जी से मनवा ही ली और इस तरह 1978 में बायोकॉन की शुरुआत हुई।

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Struggle Time –

  • किरण के सामने दो चुनौतिया थी । किरण जी ने गैरेज से अपने बिज़नस की शुरुआत की। 
  • अपनी बचत के जो पैसे थे उन्होंने उसका इसमें निवेश करना सही समझा। 
  • उनके पास उस समय 150 डॉलर ही थे जो की उस ज़माने में 1200 रुपये के बराबर थे।
  • इस तरह उन्होंने बिज़नस शुरू किया । पहली चुनौती थी की वह एक महिला थी और कोई भी एक महिला के साथ काम करना नहीं चाहता था। 
  • जैसे-तैसे एक कर्मचारी को हायर किया जा सका और वह था रिटायर गैरेज मैकेनिक। 
  • दूसरी चुनौती थी उनके लिए कारोबार को स्थापित करने के लिए पूंजी की व्यवस्था करना। 
  • कोई भी बैंक उन्हें बिज़नस के लिए लोन देने के लिए तैयार नहीं हो रहा था उस वक्त वह मात्र 25 वर्ष की थी। 

Tough Time –

  • एक बार फिर उनका महिला होना उनके लिए रूकावट बना परन्तु यदि कोई धैर्य रखे तो मुसीबत ज्यादा देर तक नहीं रह सकती ऐसा ही उनके साथ हु ।
  • 1979 में एक बैंक उन्हें लोन देने को मान गई । इस तरह से देश की सबसे बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनी बायोकॉन की नीव रखी गई।
  • आज कंपनी का मार्किट केप 37000 रूपए से भी अधिक का है।

आज किरण मजुमदार शॉ का नाम फोर्ब सूचि में है। दुनिया की 100 सबसे ज्यादा शक्तिशाली महिलाओ (Woman Success Story) में उनका नाम शामिल है तो इस तरह अपने संघर्षो से लड़कर एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी किरण मजुमदार अपने मेहनत के बल पर अरबपति बनी और आज उनकी बायोकॉन कंपनी पूरी दुनिया में जानी जाती है।   

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